सूर्य का रत्न माणिक / Why Ruby is good
सूर्य का रत्न माणिक
सूर्य का रत्न माणिक
माणिक के विभिन्न भाषाओ में नाम इस प्रकार हैं :-
हिंदी = मानक, मणिक माणिक्य
संस्कृत = माणिक्य
फारसी = याकूतसुर्ख
उर्दू = चुन्नी
माणिक रतन का रंग कनेर के फूल के रंग की तरह होता है।
माणिक प्राप्ति स्थान
यह रतन भारत में गंगा नदी, हिमालय तथा विन्द्याचल पर्वत एवं वनो के अतिरिक्त श्याम , बर्मा ,
श्रीलंका, तथा काबुल में पाया जाता है। इन जगहों पर माणिक की खाने हैं।
माणिक की बिशेषताएँ और माणिक रत्न के फायदे -
माणिक को धारण करने से वंश की वृद्धि होती है। सुख, सम्पत्ति, अन्न, धन, तथा, रत्न की प्राप्ति होती है। इस के प्रभाव से भय, व्याधि एवं डर दूर होते हैं। मन शुभ कार्यो की ओर प्रेरित होता है। बल, बीर्य, तेज तथा बुद्धि की वृद्धि होती है। शारीरिक रोग पीड़ा तथा ब्याधियो को नष्ट होता है। भूत-प्रेत बाधा दूर होती है।
सूर्य समस्त ग्रह नक्षत्रों का स्वामी तथा सब से तेज माना जाता है। इस बारे में मै लिख चूका हूँ. आप वह पोस्ट पढ़ सकते है. सूर्य ग्रह के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए क्लिक करो।
माणिक को घर में खुला रखने से, माणिक के प्रभाव से विभिन्न प्रकार के कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं।
माणिक के गुण
1. चिकना
2. अच्छा रंग
3. अच्छी कान्ति
4 . चमकीलापन
5. शीघ्र प्रभाव वाला
6. हाथ में रखने पर वजनी
माणिक किसे पहनना चाहिए ?
जिन लोगो की कुंडली में सूर्य ठीक न हो, उनको माणिक पहनना चाहिए,
*जन्मकुंडली में सूर्य लाभेश, अष्टम, दशमेश स्थान में बैठा हो।
*यदि सूर्य अपने नक्षत्र कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ नक्षत्र को पूर्ण दृष्टि से देख रहा हो।
*यदि सूर्य अष्टमेष,तथा षष्टमेश होकर पंचम तथा नवम भाव में हो।
*सूर्य अपने से अष्टम में हो
*सूर्य लगन में हो, सूर्य द्वितीय स्थान में हो, सूर्य तृतीया, चतुर्थ , सप्तम, द्वादश, और एकादश में हो तो माणिक पहनना लाभ दायक है।
माणिक से रोगो में लाभ
रक्त विकार
खूनी दस्त
हिचकी
खांसी
खुश्क बलगम
सिरदर्द
पेट दर्द
शारीरिक अंगो में दर्द
वायु - प्रकोप
खूनी दस्त
नपुंसकता
माणिक के दोष
सुन्न = जिस माणिक में चमक न हो
दूधक = दूध के समान रंग वाले
दोरंगा = जिन में दो प्रकार के रंग देखे दें
जालक = जिस में आड़ी-तिरछी जाल हो
चीरित = जिस में चीरा लगा हो
मटमैला = मिट्टी के रंग जैसा
त्रिशूल = जिस में काले धब्बे हो
गड्ढा = जिन में गड्ढा हो ===========================ये सब दोषी माणिक हैं।
माणिक धारण करने की विधि
माणिक को अंगूठी में जड़वा कर धारण करना चाहिए, रविवार के दिन जब पुष्य नक्षत्र हो, तब प्रात: क़ाल 9 से 12 बजे के मध्य अंगूठी धारण करनी चाहिए। पुष्य नक्षत्र न हो तो रविबार के दिन, कृतिका,उत्तराफाल्गुन और उत्तराषाढ़ नक्षत्र हो तो भी शुभ है।
अंगूठी सोने में, या तांबे में हो तो शुभ है.
माणिक का वजन
3 रत्ती से कम नहीं होना चाहिये
माणिक रत्न का प्रभाव 4 वर्ष तक प्रभावकारी रहता है। इसके बाद बदल देना चाहिए।
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अति उत्तम
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