सोमवार, 8 जून 2020

शुक्र,Śukra ॐ ह्रीं श्रीं शुक्राय नमः

Venus शुक्र

(शुक्र,Śukra)

shukra dev mantra
Venus शुक्र,Śukra

Venus Venus
शुक्र देव मंत्र 
मंत्र : ॐ ह्रीं श्रीं शुक्राय नमः 

(शुक्र, Śukra)

संस्कृत भाषा में इसे  शुद्ध, स्वच्छ ग्रह माना जाता है।

शुक्र ऋषि भृगु के पुत्र एवं दैत्य-गुरु शुक्राचार्य का प्रतीक है।

ज्योतिष के अनुसार शुक्र को लाभदयक ग्रह मानते हैं।

स्वामी =  वृषभ एवं तुला राशि

उच्च राशि =  मीन है और नीच = कन्या राशि में रहता है।  यदि शुक्र उच्च भाव में है तो ये जातक प्रकृति की सराहना करते हैं ।
सौहार्दपूर्ण संबंधों का भोग करते हैं।

मित्र  = बुध, शनि

शत्रु   = सूर्य और चंद्र

सम  =  बृहस्पति

कारक  = चित्रकला, मूर्तिकला , कलाकार, सुंदरता, धन, खुशी, संगीत, नृत्य, भौतिक सुख, कामुक, श्रृंगार, प्रेम, विलासता आदि का कारक है,  प्रेम-विवाह, अभिनय, वाहन-सुख, नाम, ख्याति प्राप्त होती है।

शुक्र ग्रह नवग्रह में आते हैं।

सप्ताहों में इस को शुक्रवार कहा जाता हैं

शुक्र को असुरों और दैत्यों का गुरु कहा जाता हैं।  शुक्र ने दैत्यों को देवताओं पर विजय दिलायी थ।

शुक्र के पास मृत-संजीवनी विद्या थी जिस के द्वारा शुक्र ने मृत एवं घायल दैत्यों को पुनर्जीवित कर दिया था।

शुक्रा के संयोग से ही जातक इंद्रियों पर संयम कर सकता है। 

यदि शुक्र का दुष्प्रभाव हो तो नेत्र रोग, यौन समस्याएं, अपच, कील-मुहासे, नपुंसकता, क्षुधा की हानि
और त्वचा पर चकत्ते हो सकते हैं।

भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामी शुक्र है।

शुक्र का माह ज्येष्ठ माना गया है।

कुबेर के खजाने की रक्षा शुक्र करता है।

शुक्र को श्वेत रंग पसंद है।
,
धातु =   रजत

शुक्र का रत्न = हीरा

दिशा = दक्षिण-पूर्व है,

शुक्र की ऋतु = वसंत ऋतु

तत्व  = जल




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