शनिवार, 13 जून 2020

Shani शनि ग्रह Jai Shani Dev ॐ शं शनैश्चाराये नमः Shani Dev

Shani Planet Shani Bhagwan

Shanidev Shanidev aarti

Shani Planet Shani Bhagwan

शनि ग्रह Shani Saturn

शनि ग्रह मन्त्र = ॐ शं शनैश्चाराये नमः       

सप्ताह में शनि का छठा स्थान है क्यों कि यह सूर्य से छठा ग्रह है।


वार = शनिवार


राशि = मकर और कुम्भ


मित्र = बुध, शुक्र, राहु  और केतु


शत्रु = सूर्य, चंद्र, मंगल


सम = बृहस्पति


राशि समय = 2 1/2 (ढाई ) वर्ष


गुण = तामसिक


रतन = नीलम


धातु = लोहा


जाति = नपुंसक


वर्ण = कृष्ण


तत्व = वायु


उच्च राशि = तुला


नीच राशि = मेष


रंग = काला


दृष्टि = 3, 7, 10


नक्षत्र = पुष्य, अनुराधा, और उत्तरभाद्रपद


अंक विद्या में 8 वां स्थान प्राप्त है।


प्रभावशाली समय = 7 साल 6 माह और 2 साल 6 माह।


ज्योतिष अनुसार शनि ग्रह


शनि भगवान ने भगवान भोले नाथ की पूजा तपस्या की , जिससे देवो के देव भगवान महादेव प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा,  तब शनि देव  ने कहा- हे भगवान, देवो के देव ! युगो-युगों  से  मेरी माता छाया  का अपमान होता आया है, मेरे पिता सूर्य देव मेरी माता का अपमान करते आए  हैं, इसलिए मेरी माता के अनुसार, मैं  इस आपमान का बदला लूँ, और उन से भी ज्यादा शक्तिशाली बन जाऊँ ।  तब देवों के देव भगवान महादेव ने वरदान दिया और कहा मानव तो क्या देवता भी तुम से डरेंगे,  नव ग्रहों में तुम्हें सर्वश्रेष्ठ  स्थान प्राप्त होगा , इस के बाद शनि भगवान  न्याय के देवता या भगवान कहलाए।  यही कारण है इनको सब से ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है। 


शनि को क्रूर ग्रह तथा पाप ग्रह माना जाता है।  लेकिन इसका अंतिम परिणाम सुखद होता है।  यह जातक को सोने की तरह तराशता है। यहीं से जातक को अच्छे व बुरे की पहचान होती है और जातक का जीवन नया मोड़ लेता है।


शनि जातक को शुद्ध और संस्कारी बना देता है।  यह मंद गति का ग्रह है।  यह बृहस्पति के समान मार्गी और वक्री होता है।  यह प्रति वर्ष 4 माह वक्री और ८ माह मार्गी रहता है।


कारक

आयु, शारीिरक बल, ढृढ़ता, विपत्ति, मोक्ष,यश, ऐश्वर्या, नौकरी, योगाभ्यास, विदेश, भाषा,मोक्ष,यश, तपस्वी, न्याय।


शनि सप्तम में बलि होता है।  चंद्र के साथ चेष्ठाबलि होता है।


रोग


गठिया, जोड़ो की सूजन, स्नायु रोग, नशे का रोग, दिमागी दुर्बलता, आँखों की कमजोरी, सिर की पीड़ा, मिर्गी, उत्तेजना, पेट के रोग, जांघो के रोग, वायु रोग।



शनि देव की आठ पत्नियाँ जानी जाती हैं , 


१, ध्वजिनी


२ धामनी


३ कंकाली


४ कलहप्रिया


५ कंटकी

६ महिषी


७ अजा


८ तुरंगी


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