Rahu राहु ॐ भ्रं भ्री भ्रौं सः राहवे नमः rahu ka mantra
राहु
राहु ॐ भ्रं भ्री भ्रौं सः राहवे नमः |
राहु
ज्योतिषियो का मानना है कि राहु एक छाया ग्रह है। इन का कोई आकार नहीं होता, ये हमेशा केतु के सामने होता हैं। इस की चाल वक्री होती हैं।
राहु = जहाँ बैठता है, वहाँ की उन्नति रोक देता है।
वर्ण = नर
दिशा = दक्षिण पश्चिम
ग्रह = क्रूर
रोग = गुप्त, कष्ट देता है और गलतियाँ करवाता है, बदनामी देता है।
राहु = एक राशि में 18 महीने रहता है।
मित्र = शुक्र और शनि
शत्रु = सूर्य, चंद्र, मंगल और गुरु
सम = बुध
रंग = धुएँ के जैसा
तत्व = वायु
धातु = सीसा
नक्षत्र = आद्रा, स्वाति, शतभिषा
गुण = धोखा देना, विदेश में घर, खरीदने और बेचने का व्यापार, दवाइयों के व्यापारी, निष्ठाहीन, अधर्मी, कठोर शब्द बोलने वाला, झूठ बोलने वाला, बदनाम।
राहु = अपने शत्रुओं को भी मित्र बना लेता है ।
रोग = हडडियो का रोग और अल्सर की समस्या देता है।
भोजन = उड़द
काल सर्प योग बिना राहु के नहीं हो सकता, राहु और केतु मिलकर कल सर्प योग बनाते हैं।
राहु काल को अशुभ माना जाता है।
मन्त्र = ॐ भ्रं भ्री भ्रौं सः राहवे नमः
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